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लेखनी प्रतियोगिता -09-Dec-2022 मुक्तक : मुफ्तखोरी

हर राज्य दिल्ली पंजाब जैसा नहीं होता 
"मुफ्तखोरी" के लिए विवेक नहीं खोता 
"स्वाभिमान" क्या है गुजरात ने बता दिया 
मुफ्त के माल के लिए यहां कोई नहीं रोता 

मुफ्तखोरी की हवा हिमाचल पहुंची नहीं 
आबोहवा यहां की शराब से बहकी नहीं 
जमानतें जब्त करा दी कट्टर बेईमानों की 
झूठ मक्कारी की दुकानें यहां पे चली नहीं 

अपनी बरबादी के फसाने खुद लिख लिए 
क्रांति के लिए झाड़ू के पीछे पीछे चल दिए 
चोरी और सीनाजोरी वालों को मसीहा बना के 
दिल्ली वालों ने अपने पांव कुल्हाड़ी पर धर लिए 

श्री हरि
9.12.22 


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7 Comments

Abhinav ji

10-Dec-2022 09:15 AM

Very nice👍

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Punam verma

10-Dec-2022 08:08 AM

Very nice sir

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Hari Shanker Goyal "Hari"

10-Dec-2022 08:55 AM

धन्यवाद जी

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Hari Shanker Goyal "Hari"

10-Dec-2022 02:15 AM

धन्यवाद जी

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